



संवाददाता: सुकचैन पटेल
ग्राम पंचायत मुरवारी में बड़ा पंचायत घोटाला उजागर: बिना अनुमति तोड़ा गया कांजी हाऊस, अब चुपचाप की जा रही सामग्री की नीलामी
तीन माह से लंबित है शिकायत की जांच, फिर भी 13 मई को नीलामी की तैयारी; उपसरपंच सुखचैन पटेल ने मुख्यकार्यपालन अधिकारी से जांच पूरी होने तक प्रक्रिया रोकने की माँग की
ढीमरखेड़ा,जनपद पंचायत के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत मुरवारी में एक गंभीर प्रशासनिक लापरवाही और कथित भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। पंचायत के निर्वाचित उपसरपंच एवं वार्ड क्रमांक 13 के पंच सुखचैन उर्फ अज्जू पटेल ने ग्राम में स्थित पुराने कांजी हाऊस भवन को बिना किसी प्रस्ताव, बैठक या अनुमोदन के सरपंच अजय पटेल एवं पंचायत सचिव बशरुल हक मंसूरी द्वारा तोड़े जाने और उसमें से निकली सामग्री को खुर्द-बुर्द कर निजी हित में इस्तेमाल करने का गंभीर आरोप लगाया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस मामले को लेकर उपसरपंच ने दिनांक 22 फरवरी 2025 को मुख्य कार्यपालन अधिकारी, जनपद पंचायत ढीमरखेड़ा को एक लिखित शिकायत सौंपते हुए मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की थी। शिकायत में उल्लेख किया गया कि न तो ग्रामसभा की बैठक में कोई प्रस्ताव पारित हुआ और न ही किसी प्रकार की सूचना सार्वजनिक रूप से दी गई। पंचायत के रिकॉर्ड में इस संबंध में कोई विधिवत दस्तावेजी कार्यवाही भी नहीं की गई है।
शिकायत दिए हुए तीन माह से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन न तो प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की जांच आरंभ की गई और न ही संबंधित आरोपियों से कोई जवाब-तलब किया गया। इससे न केवल पंचायत प्रशासन की निष्क्रियता उजागर हो रही है बल्कि यह भी आशंका उत्पन्न हो रही है कि पंचायत के उच्चाधिकारियों की मिलीभगत से इस प्रकरण को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
उपसरपंच सुखचैन पटेल ने मामले में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत पंचायत से जानकारी भी मांगी थी, लेकिन उन्हें अब तक कोई उत्तर प्राप्त नहीं हुआ। इसके विपरीत, ग्राम पंचायत ने अब 13 मई 2025 को विवादित सामग्री की नीलामी करने की योजना बना ली है, जिससे साफ संकेत मिल रहा है कि मामले को जानबूझकर जल्दबाजी में निपटाने का प्रयास किया जा रहा है।
गांव में इस पूरे घटनाक्रम को लेकर भारी असंतोष देखा जा रहा है। कई स्थानीय जनप्रतिनिधियों, ग्रामीण नागरिकों तथा समाजसेवियों ने पंचायत प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि बिना किसी वैधानिक प्रक्रिया और अनुमोदन के सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट करना एवं उसकी सामग्री को नीलाम करना सीधा-सीधा भ्रष्टाचार और अधिकारों का दुरुपयोग है।
ग्रामीणों का यह भी कहना है कि जब इस मामले की शिकायत पहले ही उच्चाधिकारियों तक पहुंचाई जा चुकी है और उसकी जांच लंबित है, तो इस बीच नीलामी की तैयारी करना प्रशासनिक प्रक्रियाओं का खुला उल्लंघन है। इससे न केवल पंचायत की जवाबदेही खत्म होती है, बल्कि आम नागरिकों के लोकतांत्रिक अधिकारों का भी अपमान होता है।
कुछ लोगों ने यह सवाल भी उठाया है कि क्या मुख्य कार्यपालन अधिकारी की निष्क्रियता केवल लापरवाही है या फिर जानबूझकर की गई चुप्पी है? क्या वाकई प्रशासनिक तंत्र इस मामले में संलिप्त लोगों को बचाने में जुटा है? यदि ऐसा है, तो यह न केवल पंचायत प्रणाली बल्कि पूरे जनतंत्र पर प्रश्नचिन्ह है।
उपसरपंच सुखचैन पटेल ने पुनः आग्रह किया है कि जब तक इस पूरे मामले की निष्पक्ष, पारदर्शी और विधिसम्मत जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक विवादित सामग्री की नीलामी पर तत्काल रोक लगाई जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि जांच में सरपंच अजय पटेल और सचिव बशरुल हक मंसूरी दोषी पाए जाते हैं, तो उनके विरुद्ध सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि भविष्य में कोई भी जनप्रतिनिधि जनसंपत्ति से इस प्रकार का खिलवाड़ करने की हिम्मत न कर सके।
यह मामला सिर्फ मुरवारी पंचायत तक सीमित नहीं है। यह पूरे प्रदेश की पंचायती राज व्यवस्था की पारदर्शिता, ईमानदारी और जवाबदेही से भी जुड़ा हुआ है। यदि इस प्रकार की अनियमितताओं को नजरअंदाज किया जाता है, तो इससे न केवल आम जनता का प्रशासन पर से भरोसा उठ जाएगा, बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाएं भी कमजोर होंगी।
इस घटनाक्रम से स्पष्ट है कि अब समय आ गया है कि जिला प्रशासन एवं राज्य शासन इस मामले को गंभीरता से लेकर त्वरित और निष्पक्ष जांच कर दोषियों को सजा दिलाए, ताकि ग्राम स्तर पर भ्रष्टाचार की जड़ें मजबूत न होने पाएं और पंचायत व्यवस्था पर जनविश्वास बना रहे।