गोरखपुर 2 अक्टूबर को साहू कल्याण समिति गोरखपुर मंडल के तत्वाधान में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 155 वी जयंती बड़े धूमधाम से मनाया गया

संवाददाता: कृष्ण मोहन गुप्ता

गोरखपुर: दिनांक 2 अक्टूबर 2024 दिन बुधवार को साहू कल्याण समिति गोरखपुर मंडल के तत्वाधान में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की 155 वी जयंती के अवसर पर साहू धर्मशाला खजांची चौराहा गोरखपुर में झंडारोहण किया गया तथा बापू जी के जीवन पर प्रकाश डाला गया।

कार्यक्रम का सफल संचालन महामंत्री

जी. के. गुप्त के द्वारा किया गया। झंडारोहण के पश्चात समस्त उपस्थित बंधुओं ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी एवम भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री जी के प्रतिमा पर पुष्प अर्पित करते हुए उनका नमन किया।

साहू कल्याण समिति के महामंत्री जी.के. गुप्त जी ने बापू के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आज से 155 वर्ष पूर्व गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर एक ऐसा बालक का जन्म हुआ था जिसके बारे में शायद कोई सोचा होगा की एक दिन यह बालक भारत ही नहीं अपितु विश्व में महात्मा एवम राष्ट्रपिता के नाम से पुकारा जायेगा । गांधी जी ने सत्य और अहिंसा के सिद्धांतों को अपनाया और यही उनकी पहचान बनी। उन्होंने अपने जीवन में यह सिद्ध कर दिखाया कि सच्चाई की शक्ति और अहिंसा का रास्ता किसी भी बड़ी चुनौती का सामना कर सकता है। उनका “सत्याग्रह” आंदोलन हमें सिखाता है कि हमें हमेशा सही और सच्चे रास्ते पर चलना चाहिए, भले ही चुनौतियां कितनी भी बड़ी हों।

 

महात्मा गांधी ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अहिंसक विरोध का मार्ग चुना और लोगों को एकजुट किया। उनका विचार था कि हमें अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए, लेकिन हिंसा का सहारा नहीं लेना चाहिए। उन्होंने “नमक सत्याग्रह” और “भारत छोड़ो आंदोलन” जैसे कई बड़े आंदोलन चलाए, जो भारतीय जनता को जागरूक करने में सहायक बने।

 

गांधी जी ने समाज में व्याप्त भेदभाव और जातिवाद के खिलाफ भी आवाज उठाई। उन्होंने “हरिजन” शब्द का इस्तेमाल किया और समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए कार्य किया। उनका मानना था कि “आपको वह परिवर्तन बनना चाहिए, जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।”

 

महात्मा गांधी की सोच और सिद्धांत आज भी हमारे लिए प्रासंगिक हैं। हमें उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए, ताकि हम एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकें। हमें सत्य, अहिंसा और प्रेम के मार्ग पर चलने की प्रेरणा लेनी चाहिए।

 

आखिर में, मैं यही कहना चाहूंगा कि महात्मा गांधी का जीवन हमें सिखाता है कि सच्चाई और मानवता की सेवा सबसे महत्वपूर्ण है। हमें उनके विचारों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए।

प्रोफेसर सूरज गुप्त जी ने भी अपने संबोधन में बापू के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया कि गांधी जी आज हम सभी के बीच एक विचार के रूप में जीवित है तथा राष्ट्र के निर्माण में उनके महान कृत्यों को सदैव याद किया जाएगा।

प्रोफेसर हरिश्चंद्र गुप्त जी ने अपने संबोधन में बापू के चंपारण यात्रा का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे एक महिला के सभा में विलंब से आने का कारण पूछने पर उसके द्वारा दिए जवाब से प्रेरित होकर आजीवन सिर्फ धोती धारण किए। इसके अलावा अन्य वक्ताओं ने भी अपने अपने विचार रखे।

इस कार्यक्रम में कार्याहक अध्यक्ष, कौशल किशोर गुप्त, प्रोफेसर सूरज गुप्त, महामंत्री जी.के. गुप्त, रामरेखा गुप्त,उमेश चंद गुप्त, अवधेश गुप्त, राधेश्याम गुप्त,सत्यनारायण गुप्त, विनोद गुप्त, डॉक्टर एस. डी. पी गुप्त, डॉक्टर संजय गुप्त,गौरी शंकर गुप्त, किशोरी लाल गुप्त,वीरेंद्र गुप्त,नंद जी गुप्त,चंद्रिका गुप्त, सुबास चंद गुप्त,तेज बहादुर गुप्त,संतलाल गुप्त, एवम अन्य सैकड़ों लोग उपस्थित थे।

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