बेरोजगारी महामारी की सफल वैक्सीन का नाम है उद्यमिता – सतीश कुमार

रिपोर्ट- अनूप चतुर्वेदी 

 

जबलपुर – स्वदेशी जागरण मंच, स्वावलंबी भारत अभियान, आईसीएआर-अटारी जबलपुर और केंद्रीय विश्वविद्यालय अमरकंटक के संयुक्त तत्वाधान में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के युवा किसानों और ग्रामीण परिवेश के युवाओं को कृषि में तकनीकी अपनाने और प्रोसेसिंग को शामिल कर खेती को उद्यमिता का स्वरूप देने के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक फ्लेक्सी समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते का उद्देश्य हर-घरउद्यमिता तथा प्रत्येक परिवार की आय को तीन से चार गुना बढ़ाना है, जिससे ग्रामीण युवाओं और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें।

सतीश कुमार, स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय सह-संयोजक, ने इस अवसर पर कहा, “बेरोजगारी महामारी की सफल वैक्सीन का नाम है उद्यमिता।” उन्होंने बताया कि जब समाज और संस्थान एक साथ मिलकर कार्य करते हैं, तो बड़े परिणाम आने की संभावना और अधिक बढ़ जाती है। अगर ये दोनों घटक डिस्कनेक्ट हो जाएं, तो परिणाम अपेक्षित रूप से बेहतर नहीं निकलते। इसलिए यह आवश्यक है कि समाज, संस्थान और संगठन मिलकर एक साथ उद्देश्यों की पूर्ति के संदर्भ में काम करें। जब सभी मिलकर सामूहिक रूप से काम करेंगे, तो परिणाम निश्चित रूप से प्रभावशाली और बेहतर होंगे। अगर किसानों और ग्रामीण युवाओं के संदर्भ में सोचें, तो उनके सामने फसल काटने के बाद उसे बेचने का दबाव होता है। ज्यादातर किसान उधारी चुकाने या खेती के लिए जरूरी सामग्री जैसे कि खाद और बीज खरीदने के लिए फसल कटाई के तुरंत बाद उसे बेचने के लिए मजबूर होते हैं। अक्सर वे अपनी उपज मंडी में बेचने के लिए एमएसपी (सामूहिक खरीद) का सहारा लेते हैं, जिससे उनकी आय सीमित हो जाती है। किसानों को इस सोच से बाहर निकालने के लिए जरूरी है कि वे अपनी फसल की प्रोसेसिंग और पैकेजिंग स्वयं करें और उसे सीधे बाजार में उतारें। इससे न केवल उनकी एसपी पर निर्भरता खत्म होगी, बल्कि उनकी आय भी तीन से चार गुना तक बढ़ जाएगी। इस प्रक्रिया से खेती को एक नए आयाम पर लाया जा सकेगा, जिससे यह सिर्फ खेती न रहकर उद्यमिता का रूप लेगी।

श्री सतीश कुमार ने आगे कहा की आर्थिक विकेंद्रीकरण का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि उद्यमिता का विस्तार हर घर तक पहुंचेगा। यह जरूरी है कि किसान और ग्रामीण युवा अपनी खेती को सिर्फ फसल उत्पादन तक सीमित न रखें, बल्कि उसे प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और विपणन से जोड़कर उद्यमिता में बदलें। इससे न केवल उनकी आय बढ़ेगी, बल्कि वे आत्मनिर्भर और सशक्त भी बनेंगे। इस समझौते के जरिए खेती में नई तकनीकों के उपयोग और प्रोसेसिंग को बढ़ावा दिया जाएगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी। यह समझौता सामाजिक संस्थाओं, शैक्षणिक संस्थानों और कृषक संगठनों के बीच एक संयुक्त पहल है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण भारत के विकास में तेजी लाना और किसानों की आय को कई गुना बढ़ाना है।

अटारी के डायरेक्टर डॉ एस आर के सिंह ने कहा की इस समझौते के प्रमुख उद्देश्य हैं: 15 मिलियन ग्रामीण युवाओं को कृषि उद्यमी बनने के लिए सशक्त बनाना और उन्हें आवश्यक संसाधन और प्रशिक्षण प्रदान करना। इस पहल का उद्देश्य युवाओं को स्थायी आजीविका प्रदान करना और ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में पलायन को रोकना है। इसके साथ ही, 80 जिलों के किसानों को नवीनतम विज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके आधुनिक कृषि उद्यमों का नेतृत्व करने में सक्षम बनाना है। समझौता हरित विकास को बढ़ावा देता है, जिसके तहत पर्यावरण-अनुकूल कृषि पद्धतियों को प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके अलावा, यह सहयोग तकनीकी नवाचारों जैसे कि ड्रोन और AI के उपयोग से उत्पादकता को बढ़ाने के लिए कृषि क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन लाने का प्रयास करता है। स्वदेशी जागरण मंच – स्वावलंबी भारत अभियान, का कार्य होगा कि वह जमीनी स्तर पर उद्यमिता विकास के लिए प्रेरित करें। यह संगठन कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ मिलकर जन जागरूकता अभियान चलाएगा, वंचित समुदायों को सरकारी योजनाओं तक पहुंचने में मदद करेगा और युवाओं को मार्गदर्शन प्रदान करेगा। संगठन की जिम्मेदारी है कि वह सामाजिक पहल और कृषि उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए समन्वय स्थापित करे, जिससे ग्रामीण विकास को गति दी जा सके।

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