जिसे बनना था मुगल सल्तनत का ताकतवर बादशाह उसे सबसे बुरी मौत नसीब हुई

 

मुगलों से जुड़े कई किस्से बताते हैं कि उस सल्तनत के लोगों पर सत्ता का नशा किस कदर हावी था. गद्दी हासिल करने के लिए वो अपने सगे भाई और पिता का खून बहाने में भी पीछे नहीं हटते थे. मुगल इतिहास में कई ऐसे बादशाह हुए जिनके फैसलों का असर उनकी अगली पीढ़ी पर पड़ा. सत्ता के लिए जंग शुरू हुई. कत्ल-ए-आम मच गया. शाहजहां के फैसले ने भी ऐसा ही इतिहास लिखा. शहजादों में शाहजहां को सबसे ज्यादा लगाव अपने बड़े बेटे दारा शिकोह से था. वह उससे इतना लगाव रखते थे कि सैन्य अभियानों में भी नहीं जाने देते थे. जबकि दूसरे बेटों को अलग-अलग जिम्मेदारियां दे रखी थीं. वो दारा को हमेशा अपनी नजरों के सामने देखना चाहते थे. इसी मोह में उन्होंने दारा शिकोह बादशाह घोषित कर दिया. शाहजहां चाहते थे कि मुगल इतिहास में दारा का नाम सुनहरे अक्षरों से लिखा जाए. यह पिछली पीढ़ियों की तरह नामी बादशाह साबित हो.यह बात शाहजहां के बेटों औरंगजेब, मुराद और शाह शुजा को नागवार गुजरी|

सलाखों के पीछे पहुंचा मुगल बादशाह
सत्ता को हासिल करने के नशे में चूर औरंगजेब ने अपने दोनों भाइयों मुराद और शाह शुजा के साथ मिलकर अपना रास्ता साफ करने की योजना बनाई. औरंगजेब ने बीमार पिता शाहजहां को बंदी बनाया. भाई दारा शिकोह को रास्ते से हटाने के लिए चालें चलने लगा. फिर शुरू हुआ सिंहासन के लिए जंग. औरंगजेब ने खुद को बादशाह घोषित किया और दारा को जंग में हराकर जेल भेजा.

मैले-कुचैले कपड़े पहने शहजादा पहुंचा दिल्ली
शाहजहांनामा किताब में शाहजहां के इतिहासकार रहे मोहम्मद सालेह कम्बोह ने लिखा है कि गिरफ्तारी के बाद शहजादा शिकोह को जब दिल्ली लाया गया तो हालत बहुत बुरी थी. उन्होंने मैले-कुचैले कपड़े पहन रखे थे. शरीर बुरी तरह से थका हुआ था. चेहरे की रौनक खत्म हो चुकी थी. दिल्ली लाने के बाद उन्हें खिजराबाद की एक छोटी और अंधेरी जगह पर रखा गया.

मौत देने का आदेश
दिल्ली लाने के बाद औरंगजेब ने शिकोह की मौत का आदेश दिया. कम्बोह लिखते हैं, जल्लाद आते हैं और दारा शिकोह के गले पर खंजर चलाते हैं. कुछ ही समय में शिकोह की मौत हो जाती है. मौत के बाद शाही रिस्मों के हिसाब से उनका अंतिम संस्कार तक नहीं किया गया. उसी मैले-कुचैले कपड़ों के साथ दारा शिकोह को हुमायूं के मकबरे में दफना दिया गया. इसके साथ शाहजहां की वो उम्मीद भी टूट गई जिसमें वो दारा शिकोह पर प्रतापी राजा बनते हुए देखना चाहते थे.तत्कालीन इतिहासकार मोहम्मद काज़िम इब्ने मोहम्मद अमीन मुंशी किताब ‘आलमगीर नामा’ में लिखते हैं कि दारा को दफनाने के लिए वही जगह चुनी गई जहां पर अकबर के दोनों बेटे दानियाल और मुराद को सुपुर्द-ए-खाक किया गया था. एक ही गुंबद के नीचे तीनों की कब्र बनी हुई थीं|

 

Edited by : Switi Titirmare

 

 

Leave a Comment