रिपोर्टर: अजय श्रीवास्तव
गोरखपुर: दिसंबर के महीने में सर्दी काफी बढ़ जाती है. हम सभी जानते हैं कि ठंड के दिनों में दिन छोटे हो जाते हैं और रातें लंबी होती हैं. लेकिन दिसंबर में एक दिन ऐसा होता है,जिस दिन वर्ष की सबसे लंबी रात होती है और सबसे छोटा दिन होता है। भौगोलिक भाषा में इसे शीतकालीन अयनांत (Winter Solstice) जाता है।आमतौर पर ये दिन 21 या 22 दिसंबर को पड़ता है।इस बार साल का सबसे छोटा दिन 21 दिसंबर शनिवार को है।जानिए हर साल ये खगोलीय घटना क्यों घटती है।इस बारे में खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि पृथ्वी का अपने अक्ष पर 23.5 डिग्री झुके होने के कारण घूर्णन करने से मौसम परिवर्तन भी होता है, और पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमते हुए ही सूर्य का भी चक्कर लगाती है जिस से इसके अपने अक्ष पर पश्चिमी से पूरब की तरफ घूमने के कारण दिन और रात होते हैं और इस कारण हमें पृथ्वी से सूर्योदय हमेशा पूरब दिशा में ही दिखाई देता है और सूर्य का एक चक्कर पूरा करने पर एक बर्ष पूरा होता है,
क्या होता है
शीतकालीन संक्रांति _ खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि शीत कालीन संक्रान्ति जिसे हाइबरनल संक्रांति भी कहा जाता है ,
कब होती है शीत कालीन संक्रान्ति _ वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला तारामण्डल गोरखपुर के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि जब पृथ्वी का कोई भी ध्रुव सूर्य से दूर अपने अधिकतम झुकाव पर पहुँच जाता है जोकि एक बर्ष में दो बार होता है, एक बार प्रत्येक गोलार्ध ( उत्तरी और दक्षिणी ) में। उस गोलार्ध के लिए, शीतकालीन संक्रांति वह दिन होता है जिसमें दिन के उजाले की सबसे छोटी अवधि और साल की सबसे लंबी रात होती है, और जब सूर्य आकाश में अपनी सबसे कम दैनिक अधिकतम ऊंचाई पर होता है, इसके विपरीत घटना ग्रीष्म संक्रांति कहलाती है,
खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि शीतकालीन अयनांत
उत्तरी गोलार्ध में शीतकालीन संक्रांति 20 दिसंबर और 23 दिसंबर के दौरान ही किसी दिन होती है जोकि इस बार सन 2024 मे 21 दिसंबर को होगी, इस दिन सबसे छोटा दिन और साल की सबसे लम्बी रात होती है, इसके बाद उत्तरी गोलार्ध में
दिन लंबे होने और रातें छोटी होने की शुरुआत हो जाती है,
खगोल विद अमर पाल सिंह ने बताया कि
जून संक्रांति , सितंबर विषुव , दिसंबर संक्रांति और मार्च विषुव के संक्रमण बिंदुओं वाली ऋतुएँ
शीतकालीन संक्रांति गोलार्ध की सर्दियों के दौरान होती है, लेकिन उत्तरी गोलार्ध में यह दिसंबर संक्रांति (21 दिसंबर, 22 दिसंबर या 23 दिसंबर होती है और दक्षिणी गोलार्ध में, यह जून संक्रांति (20 जून, 21 जून या 22 जून) है। हालाँकि शीतकालीन संक्रांति स्वयं केवल एक पल तक रहती है, लेकिन यह एक लैटिन भाषा का शब्द है और यह शब्द उस दिन को भी संदर्भित करता है जिस दिन यह होती है। जैसे कि यह दो शब्दों के मेल से बना हुआ है जिसे सोल और इस्टिश , जिसमे सोल का अर्थ होता है सूर्य और ईस्ट्स का मतलब होता है इस्थर होना,
अमर पाल सिंह ने बताया कि
प्राचीनकाल से ही, शीतकालीन संक्रांति कई संस्कृतियों में वर्ष का एक महत्वपूर्ण समय रहा है और इसे विभिन्न त्यौहारों और अनुष्ठानों के रूप में भी मनाया जाता है ,
इस दौरान कितने घंटे का होगा दिन और रात और कब घटित होगी यह खगोलीय घटना है_ इसके बारे में
अमर पाल सिंह ने बताया कि इस बार यह वर्ष 2024 की सबसे लंबी रात होगी जोकि लगभग 16 घंटे कि होगी, और दिन केबल लगभग 08 घंटे का ही होगा, इस बार शनिवार 21 दिसंबर 2024 को भारतीय सामानुसार इस खगोलीय घटना का समय 02 बजकर 51 मिनिट पर है ,और इस दिन के बाद धीरे धीरे से उत्तरी गोलार्ध में निवास करने वाले देशों के लिए दिन की अवधि में वृद्धि होती जाती है और रातें छोटी होती जाती हैं।