आर्थिक संकटों से जूझ रहे मनरेगा मजदूर दो माह से नहीं मिली मजदूरी, परिवार चलाना हूवा मुश्किल

चिमूर संवाददाता जावेद पठाण

चिमूर तालुका अतर्गत महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी मे कार्यरत मजदूरों को दो महीना बाद भी मजदूरी भुगतान नहीं होने से आर्थिक संकटों के दौर से गुजरते हुए परिवार के गुजर बसर चलाने मुश्किल हो गया है

अगर ऐसी स्थिति रही तो अधिकांश मजदूर दूसरे जिला, राज्य पलायन करने के लिए मजबूर हो सकते है हर रोज मजदूर वर्ग आधार सेंटर के साथ ही बैंकों के चक्कर लगाते लगाते थक चुके हैं उनके खाते में मनरेगा की राशि जमा नही होने से खाली हाथ वापस घर पहुंच कर दूसरा दिन मनरेगा के कार्यों में जाने का मन नहीं करते हुए तात्कालिक आर्थिक व्यवस्था जहां हो वैसा काम करने के लिए मजबूर होते हुए देखा जा रहा है

दैनिक दिनचर्या के सामग्रियों के साथ ही घर गृहस्थी चलाने के लिए व्यवस्था भी करना मुश्किल हो गया है चिमूर तालुका की ग्रामीण मे पारिवारिक मेहमानो का आना-जाना लगा रहेता है जहां आन बान शान पर भी प्रश्न चिन्ह लगने जैसा हो गया है आर्थिक संकटों के चलते मजदूर वर्ग बेहद परेशान होने लगा है ग्राम पंचायत के सरपंच सचिव रोजगार सहायक व मेट द्वारा मजदूरों के साथ भुगतान को लेकर विवाद की स्थिति भी बन रही है परिस्थितियों को देखते हुए बहुत ग्राम पंचायतो में पुराने मजदूरी के भुगतान नहीं होने तक नया काम भी नहीं कराया जा रहा है मनरेगा अधिनियम के अंतर्गत मजदूरी भुगतान की समय सीमा तय किया है उसका परिपालन नहीं होने से मजदूरो में बेहद आक्रोश देखा जा रहा है

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