मकर संक्रांति पर्व के अवसर राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति ने किया खिचड़ी वितरण एवं मासिक काव्य-गोष्ठी का आयोजन

रिपोर्टर: मोहम्मद शहजाद

मुरादाबाद, 15 जनवरी। राष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समिति द्वारा मकर संक्रांति पर्व के अवसर पर खिचड़ी वितरण एवं काव्य-गोष्ठी का आयोजन लाइनपार स्थित जंभेश्वर विश्नोई धर्मशाला में किया गया। राजीव प्रखर द्वारा प्रस्तुत माॅं सरस्वती की वंदना से आरंभ हुए कार्यक्रम की अध्यक्षता योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई की। मुख्य अतिथि बृजेंद्र सिंह वत्स एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में के० पी० सरल मंचासीन हुए। कार्यक्रम का संचालन अशोक विद्रोही ने किया। कार्यक्रम के प्रथम चरण में संस्था के द्वारा मकर संक्रांति पर्व पर विगत वर्षों खिचड़ी वितरण का आयोजन किया गया ततपश्चात विभिन्न रचनाकारों ने प्रभु श्रीराम को समर्पित अपनी रचनाओं से वातावरण को राममय कर दिया।


सर्वप्रथम बालकवि अनन्त ‘मनु’ काव्यपाठ का आरंभ करते हुए सुनाया- चल बटोही, चल बटोही, चल बटोही रे!दुष्यंत बाबा ने परिस्थितियों का चित्र खींचते हुए कहा- राख देख शमशान की, मनवा करे सवाल। क्या लेकर तू जा सका, करता रहा बवाल।। काव्य पाठ करते हुए राजीव प्रखर ने अपने दोहों से सभी को भक्ति-रस से सराबोर करते हुए कहा- जग के माया-जाल से, अब मुझको क्या काम। मेरा दीपक जल उठा, रामलला के नाम।। मनोज मनु की अभिव्यक्ति थी- हों प्रफुल्लित सूर्य के शुभ आगमन से प्राण श्रीमन्। सूर्य की नव अरुणिमा निश्चित महा वरदान श्रीमन्। जितेंद्र जौली ने व्यंग्य के पैने तीर छोड़े- ऐसे लोगों पर बड़ा, आता हमको क्रोध। चाइना मोबाइल से, चाइना पर क्रोध।। वरिष्ठ रचनाकार डॉ० मनोज रस्तोगी ने कीर्तिशेष प्रोफेसर महेंद्र प्रताप जी के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में उनसे संबंधित संस्मरण प्रस्तुत किये। डॉ० प्रेमवती उपाध्याय ने श्री राम के प्रति अपने भाव इस प्रकार अभिव्यक्त किये- राम ही आराध्य मेरे राम ही अभिमान हैं।

राम मधुरिम बोल मेरे, राम मेरा ज्ञान हैं। इसके राम सिंह ‘निशंक’, ओंकार सिंह ‘ओंकार’, रघुराज सिंह ‘निश्चल’, आर० पी० त्रिपाठी आदि सभी ने भगवान श्रीराम को प्रणाम करते हुए अपनी-अपनी अभिव्यक्ति की। योगेन्द्र पाल सिंह विश्नोई द्वारा आभार-अभिव्यक्ति के साथ कार्यक्रम पूर्णता को प्राप्त हुआ।

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