मणिपुर में हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है। ऐसे में, राज्य में शांति बहाल करने के प्रयासों के तहत राज्य के आदिवासियों के एक समूह ने आज केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।
इस दौरान समूह ने अपनी कई मांगे सामने रखीं।
पांच मांगे रखीं
इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम यानी आईटीएलएफ के सचिव मुआन टोम्बिंग ने बताया कि के एक प्रतिनिधिमंडल ने गृह मंत्री के साथ बातचीत की। इस दौरान आदिवासियों के समूह ने अपनी पांच प्रमुख मांगे उनके सामने रखीं। आईटीएलएफ की पांच प्रमुख मांगों में मणिपुर से पूरी तरह अलग किए जाने और कुकी-जो समुदाय के सदस्यों के शवों को दफनाए जाने की मांग शामिल हैं। बता दें, शव फिलहाल इंफाल में हैं और समूह की मांग है कि उन्हें चुराचांदपुर लाया जाए।
शवों को दफनाने को लेकर ज्ञापन
इस सप्ताह की शुरुआत में आईटीएलएफ ने केंद्रीय गृह मंत्री को दिए ज्ञापन में कहा था कि उन्होंने शवों को दफनाने की प्रकिया पांच और दिन टालने संबंधी शाह के अनुरोध पर कई पक्षकारों के साथ काफी विचार विमर्श किया। यह ज्ञापन 27 सेक्टर में स्थित असम राइफल्स मुख्यालय के जरिए भिजवाया गया है।
गृह मंत्री ने दिया था आमंत्रण
बता दें कि आईटीएलएफ के नेता पड़ोसी राज्य मिजोरम की राजधानी आइजोल से होते हुए दिल्ली पहुंचे। शाह ने मणिपुर की स्थिति पर विचार-विमर्श करने के लिए आईटीएलएफ को दिल्ली में उनके साथ बैठक करने के लिए निमंत्रण दिया था। यह है मामल गौरतलब है, मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। राज्य में तब से अब तक कम से कम 160 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हिंसा में सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है और हजारों लोग विस्थापित हुए हैं।
Edited by : Switi Titirmare