भारत के चावल एक्सपोर्ट पर बैन के फैसले से दुनियाभर में मची खलबली

चावल की खपत पूरी दुनिया में बहुत ज्यादा है. इस साल पूरे विश्व में चावल का उत्पादन पिछले सालों के मुकाबले कम हुआ है. ऐसे में खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने गैर बासमती सफेद चावलों के निर्यात पर बैन लगा दिया है.भारत के इस फैसले के बाद से पूरे विश्व की चिंताएं बढ़ गई हैं क्योंकि वैश्विक मार्केट में भारत के चावलों की एक बड़ी हिस्सेदारी है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक भारत सरकार के चावल को बैन करने के फैसले के बाद अब विश्व के अलग-अलग मुल्क चावल की खरीद के लिए सीधे भारत सरकार से सौदा कर सकते हैं|

यह देश सरकार से सीधे कर सकते हैं सौदा
रायटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक अफ्रीका और एशिया के कई देश भारत के गैर बासमती चावल के निर्यात के फैसले के बाद आपूर्ति कम होने की संभावना को देखते हुए चिंतित है. ऐसे में आने वाले वक्त में इन देशों के बीच चावल खरीदने को लेकर होड़ मच सकती है. इसके साथ ही एक्सपर्ट्स के मुताबिक भारत सरकार के इस फैसले के बाद विश्व में लगभग पांचवे हिस्से तक चावल की सप्लाई में कमी आ सकती है.इस कारण वैश्विक मार्केट में चावल के दाम बढ़ने की संभावना है. ऐसे में अलग-अलग देशों की सरकारें कीमतों पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार के साथ अलग-अलग सौदे कर सकती है. भारत के गैर बासमती चावल निर्यात पर बैन के फैसले पर बात करते संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन ने कहा है कि इस तरह के फैसले से पूरी दुनिया में व्यापार पर निर्भरता में विश्वास को कम करने का काम करता है|

सरकारों के बीच हो सकता है समझौता
वैश्विक स्तर पर इस साल कम हुई चावल की पैदावार से भारत में खाद्य सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं. ऐसे में सरकार ने इसे देखते हुए पिछले हफ्ते गैर बासमती चावलों के निर्यात पर रोक लगा दी है. इस फैसले को लेते हुए सरकार ने साफ किया है कि भारत सरकार अन्य देशों की सरकार के साथ चावल को लेकर समझौता करने के लिए तैयार है. ऐसे में आने वाले वक्त में कई देश भारत सरकार से सीधे संपर्क करके चावल को लेकर बड़ी डील कर सकते हैं.
ध्यान देने वाली बात ये है कि पिछले साल सितंबर में घरेलू बाजार में चावल की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए भारत सरकार ने टूटे चावलों के निर्यात पर बैन लगा दिया था. इसके बाद से भारत सरकार ने इंडोनेशिया, सेनेगल, गाबिया, माली और इथोपिया जैसे देशों के साथ कई सरकारी डील किए थे|

 

Edited by : Switi Titirmare 

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