कंधे में अकड़न को मामूली समझकर न करें नजरअंदाज

आजकल भागदौड़भरी जिंदगी में हमें खुद के लिए समय नहीं मिल पाता है. ऐसे में हम पूरा दिन एक ही जगह बैठे बैठे ऑफिस में काम करते रहते हैं, जिसके चलते कई तरह की परेशानियां जन्म लेने लगती हैं, इन्हीं में से एक है कंधों का दर्द|
कंधों के अकड़ जाने को हम फ्रोजन शोल्डर कहते हैं. हालांकि कई बार हमें इसे आम परेशानी समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन ये बड़ी परेशानी खड़ी कर सकता है. आइए इसके बारे में डॉक्टर रोहित लांबा से जानते हैं. सनर इंटरनेशनल हॉस्पिटल्स के एचओडी एंड सीनियर कंसल्टेंट, बोन, जॉइंट रिप्लेसमेंट, एंड ऑर्थोपेडिक्स डॉक्टर रोहित लांबा ने बताया कि फ्रोजन शोल्डर, जैसा कि बहुत हद तक नाम से ही ज़ाहिर है, एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति के कंधे के जोड़ों को हिलाना-डुलाना एक प्रकार से मुश्किल या पीड़ादायक हो जाता है|
इसे आम भाषा में जोड़ जाम होना भी कहा जाता है. दफ्तरों में लगातार एक ही पोश्चर में बैठकर काम करने वाले, नियमित व्यायाम नहीं करने वाले, निष्क्रिय जीवनशैली जीने वाले लोग इससे अधिकतर प्रभावित देखे गये हैं. क्योंकि लंबे समय तक जोड़ों को उचित रूप से स्ट्रेच न करने पर उनमें समस्या होना स्वाभाविक है. साथ ही अक्सर यह समस्या उन लोगों में भी देखी जाती है जो किसी बीमारी या गंभीर चोट के कारण लंबे समय तक बिस्तर पर रहे हों, और शारीरिक सक्रियता उनके लिए संभव न रही हो. इसके अलावा बढ़ती उम्र, डायबिटीज, व अन्य कुछ रोग इसके जोखिम कारकों में से हैं. इसके लक्षण कुछ इस प्रकार हैं: -कंधे के जोड़ वाले हिस्से को जिलाते-डुलाते समय अतिरिक्त बल लगना -कंधे के जोड़ों की गति का सीमित होते जाना और दर्द होना -कंधे के जोड़ों का एक प्रकार से रुक जाना-अचानक कोई काम करते वक़्त कंधे के जोड़ की गति रुक जाना और दर्द उठाना

कैसे करें बचाव
फ्रोजन शोल्डर से निदान की यदि बात करें तो बहुत हद तक इसके जोखिम कारकों में ही इसके निदान की दिशा छिपी है, यानी कि यदि आप निष्क्रिय जीवनशैली का अनुसरण कर रहे हैं तो चेत जाएँ, नियमित व्यायाम करें, जिसमें भरपूर स्ट्रेचिंग शामिल हो. इसके अलावा यदि किसी बीमारी के कारण शारीरिक सक्रियता संभव नहीं हो तो डॉक्टर की सलाह पर थेरेपी इत्यादि लें, ख़ासकर डायबिटीज से जूझ रहे लोग अतिरिक्त रूप से सचेत रहें, क्योंकि उनमें अक्सर इसकी शिकायत देखी जाती है. साथ ही उपरोक्त बताये गये किसी लक्षण को नज़रंदाज न करें. इलाज की यदि बात करें तो इस स्थिति में रोग की गंभीरता के अनुसार निदान किये जाते हैं, जैसे कुछ मामूली स्थितियों में फिजियोथेरेपी दी जा सकती है, जबकि गंभीर स्थिति में सर्जरी भी आवश्यक हो सकती है, इसके अलावा संबंधित डॉक्टर अक्सर कन्धों के जोड़ में एक प्रकार का इंजेक्शन भी लगाते हैं और खाने वाली दवाएं भी दी जाती हैं|

Edited by : Switi Titirmare 

 

 

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