इजराइल और हमास के बीच युद्ध को लेकर भारत के मुस्लिम नेताओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं जताई

ओवैसी से दानिश अली तक...जानिए इजराइल-हमास की जंग पर भारत के मुस्लिम नेताओं ने क्या कहा

इजराइल और हमास के बीच युद्ध जारी है. दोनों पक्षों की ओर से एक दूसरे पर हमले किए जा रहे हैं. इजराइल और हमास दोनों पक्षों के सैंकड़ों लोगों की मौत हुई है. हमास ने शनिवार को फिलिस्तीन में गाजा पट्टी से इजराइल पर रॉकेट हमला किया. इसके जवाब इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने फिलिस्तीन पर युद्ध की घोषणा कर दी और इजराइल डिफेंस फोर्सेज फिलिस्तीन की गाजा पट्टी पर लगातार एयर स्ट्राइक से पहले कर रहा है. इजराइल और हमास के युद्ध को लेकर पूरी दुनिया बंट गयी है. इजराइल और हमास के बीच युद्ध को लेकर भारत के मुस्लिम नेताओं ने अपनी प्रतिक्रियाएं जताई हैं. प्रतिक्रिया देने वालों में फारूक अब्दुल्लाह से लेकर दानिश अली और प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी आदि शामिल हैं इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वह दुआ करते हैं कि कब्जे वाले फिलिस्तीन के इलाकों में शांति कायम रहे. दूसर ओर, अमरोहा से लोकसभा के सांसद दानिश अली ने हमास और इजराइल के बीच जारी जंग पर टिप्पणी करते इजराइल और गाजा में हमलों और जवाबी हमलों की निंदा की|

दानिश अली ने एक्स पर लिखा, “इजराइल और गाजा में हमलों और जवाबी हमलों की कड़ी निंदा करता हूं. संयुक्त राष्ट्र इस युद्ध को फौरन रोके, स्थाई शांति के लिये फिलिस्तीनी भूमि से सभी अवैध इजराइली बस्तियों को हटाये और फिलिस्तीनियों के जायज अधिकारों को सुनिश्चित करे. जंग किसी चीज का हल नही कहते हुए नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह कहा, “जंग किसी भी हालत में हो, बुरी होती हैं, उस में लोगों का नुकसान होता हैं, कितने मर गए हैं ? कितने इजराइली बेगुनाह मर गए हैं? कितने फलस्तीनी बेगुनाह मर गए? जंग किसी समस्या का समाधान नहीं है|

उन्होंने कहा कि अफसोस यह हैं कि संयुक्त राष्ट्र फैल हो गया है. फिलिस्तीन का मामला सालों पुराना है, लेकिन इसका कोई समाधान नहीं निकाला जा रहा है और अब बेगुनाह लोग मारे जा रहे हैं. लोगों की जान जा रही हैं. जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती एक्स पर लिखा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इजराइल-फिलिस्तीनी संघर्ष के प्रति दुनिया को जागरूक होने के लिए ऐसी मौत और विनाश की जरूरत पड़ती है. साल-दर-साल गगनभेदी चुप्पी कायम रखी जाती है, क्योंकि निर्दोष फिलिस्तीनियों की हत्या कर दी जाती है और उनके घरों को नष्ट कर दिया जाता है| उन्होंने कहा, “आज सिर्फ इसलिए कि दूसरे पैर का जूता चुभ रहा है, तथाकथित लोकतंत्रों में आक्रोश है. कम से कम यह चयनात्मक आक्रोश आपराधिक है. फ़िलिस्तीन का समाधान करें ताकि शांति बनी रहे|

Edited by : Switi Titirmare 

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