वास्तुकला अगर लोकतंत्र को मार सकती है तो पीएम मोदी सफल हो गए है, नए संसद भवन पर हुई रार

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर एक लंबा पोस्ट लिखकर संसद की नई इमारत की आलोचना की है। जयराम रमेश ने लिखा कि पूरे जोर-शोर से संसद की नई इमारत लॉन्च की गई थी। यह असल में पीएम मोदी के उद्देश्यों को पूरा करती है। इसे मोदी मल्टीप्लेक्स या मोदी मैरियट कहना चाहिए। चार दिनों के बाद मैंने महसूस किया है कि संसद की नई इमारत के अंदर और लॉबी में बातचीत खत्म हो गई है। अगर वास्तुकला लोकतंत्र को मार सकती है तो संविधान को दोबारा लिखे बिना ही प्रधानमंत्री सफल हो चुके हैं।

पुरानी इमारत में एक आभा थी’
जयराम रमेश ने लिखा कि एक दूसरे को देखने के लिए दूरबीन की जरूरत होगी क्योंकि हॉल बिल्कुल भी आरामदायक नहीं हैं। पुरानी इमारत में एक आभा थी, साथ ही यहां बातचीत करना भी आसान था। एक सदन से दूसरे सदन जाने में, सेंट्रल हॉल में और कॉरिडोर्स में चलना-फिरना आसान था। नई संसद में सदन को चलाने के लिए दोनों सदनों के बीच का बॉन्ड कमजोर हुआ है। पुरानी इमारत में अगर आप रास्ता भूल जाते थे, तो रास्ता मिल जाता था क्योंकि यह गोलाकार था लेकिन नई इमारत में यदि आप रास्ता भूल जाते हैं तो आप भूलभुलैया में खो जाते हैं। पुरानी इमारत में खुलेपन का एहसास होता था, जबकि नई इमारत में बंद जगहों पर घुटन महसूस होती है।

2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद नए संसद भवन का बेहतर उपयोग हो सकेगा’
जयराम रमेश ने लिखा कि संसद भवन में घूमने का आनंद गायब हो गया है। मैं पुरानी इमारत में जाने के लिए उत्सुक रहता था लेकिन नई इमारत पीड़ादायक है। मुझे यकीन है कि पार्टी लाइन से हटकर कई सहकर्मी भी ऐसा महसूस करते हैं। मैंने सुना है कि सचिवालय के कर्मचारी भी नए डिजाइन से खुश नहीं हैं। ऐसा तब होता है जब भवन का उपयोग करने वाले से कोई परामर्श नहीं किया जाता है। जयराम रमेश ने लिखा कि शायद 2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद नए संसद भवन का बेहतर उपयोग हो सकेगा।

आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने दिया जवाब
आरएसएस नेता इंद्रेश कुमार ने जयराम रमेश के सोशल मीडिया पोस्ट पर जवाब देते हुए कहा कि ‘नई संसद अब एक सच्चाई है। क्या जयराम रमेश ये कह रहे हैं कि वह एक नई संसद बनाएंगे क्योंकि उन्होंने ये तो नहीं कहा है कि वह पुरानी संसद जाएंगे। मैं सभी पार्टी नेताओं से अपील करता हूं कि वह नफरत और दुश्मनी से ऊपर उठकर एकजुट होकर देश के विकास के लिए काम करें। बता दें कि संसद की नई इमारत में संसद के विशेष सत्र के दौरान बीती 19 सितंबर से ही आधिकारिक रूप से कामकाज शुरू हुआ है। गणेश चतुर्थी के मौके पर पीएम मोदी के नेतृत्व में सांसद नए संसद भवन में बैठे। वहीं पुरानी संसद को अब ‘संविधान सदन’ के रूप में जाना जाएगा।

Edited by : Switi Titirmare 

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